NCERT Science Handwritten Notes Chapter- 12 (विद्युत)

Chapter = 12 विद्युत

Class 10 Science Handwritten Notes PDF: आपको यहां Science के Handwritten Notes मिलेंगे। परीक्षा में, आपको पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न मिलेंगे, और यह निश्चित है कि पेपर कहाँ से आता है। आखिरी समय में, जब आपकी परीक्षाएं नजदीक हैं, तो आप कहां पर जाएंगे

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आप ऐसे Class 10 Science Handwritten Notes PDF ढुंड रहे हैं जो ठीक से लिखे गए हों, अच्छे उदाहरणों के साथ तो आप सही जगह पर हैं। 10वीं कक्षा में पढ़ना कोई मज़ाक नहीं है, आप न केवल नोट्स ढूँढ़ने में अपना समय बर्बाद कर सकते हैं और वह भी तब जब आपकी परीक्षाएँ नज़दीक हों। हमारे पास Class 10 Science Handwritten Notes PDF हैं जो बहुत अच्छी तरह से लिखे गए हैं और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। साथ ही कक्षा 10th विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न आप यहाँ आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

Class 10 Science Handwritten Notes PDF Download

आपके समय के महत्व को ध्यान में रखते हुए, हम इसे यथासंभव सरल और समझने योग्य बनाने का प्रयास करेंगे। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को देखते हुए हम Notes को आसान बनाने की कोशिश करेंगे। ताकि आप उन्हें समझने में अपना समय बर्बाद न करें। अगर पैटर्न या सिलेबस में कोई बदलाव होता है तो हम इस पर विचार करेंगे और फिर नोट्स बनाएंगे। हमारे शिक्षा विशेषज्ञ एक बार इन नोट्स को देखें और फिर वेबसाइट पर लिंक अपलोड करें। हम पिछले 10 वर्षों के सभी प्रश्नपत्रों का अच्छी तरह से अध्ययन करेंगे और फिर छात्रों के लिए साफ-सुथरे नोट्स तैयार करेंगे। जिसे आप निचे दिये गये लिंक से Class 10 Science Handwritten Notes PDF Download कर सकते है।


विद्युत ऊर्जा :-

  • किसी चालक में विद्युत आवेश प्रवाहित होने से जो ऊर्जा व्यय होती है उसे विद्युत ऊर्जा कहते हैं ।
  • यदि किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर V वोल्ट हो , तो q कूलॉम आवेश के चालक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जाने में व्यय विद्युत ऊर्जा w = qv

विद्युत परिपथ :-किसी विद्युत धारा के सतत तथा बंद पथ को विद्युत परिपथ कहते है ।

आवेश :- आवेश परमाणु का एक मूल कण होता है । यह धनात्मक भी हो सकता है और ऋणात्मक भी । समान आवेश एक – दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं । असमान आवेश एक – दूसरे को आकर्षित करते हैं ।

  • कूलॉम ( c ) आवेश का SI मात्रक है ।
  • 1 कूलॉम आवेश = 6 × 10¹⁸ इलेक्ट्रानों पर उपस्थित आवेश


  • 1 इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 × 10⁻¹⁹C ( ऋणात्मक आवेश )

Q = ne

  • Q = कुल आवेश

  • n = इलेक्ट्रॉनों की संख्या
  • e = एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश

विधुत धारा :-आवेश के प्रवाहित होने की दर को विद्युत धारा कहते हैं ।

  • विद्युत धारा = आवेश/समय यानी I = Q/t
  • धारा का SI मात्रक = ऐम्पियर ( A )

एक ऐम्पियर विद्युत धारा की रचना प्रति सेकंड एक कूलॉम आवेश के प्रवाह से होती है , अर्थात 1A = 1 C / 1s अल्प परिमाण की विद्युत धारा को मिलिऐम्पियर ( 1 mA = 10-³A ) अथवा माइक्रोऐम्पियर ( 1μA = 10-⁶A ) में व्यक्त करते हैं ।

विधुत धारा का मापन :-

  • विधुत धारा को ऐमीटर द्वारा मापा जाता है । ऐमीटर का प्रतिरोध कम होता है तथा हमेशा श्रेणी क्रम में जुड़ता है ।
  • विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉन के प्रवाहित होने की दिशा के विपरीत मानी जाती है । क्योंकि जिस समय विद्युत की परिघटना का सर्वप्रथम प्रेक्षण किया था इलेक्ट्रानों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी अतः विद्युत धारा को धनावेशों का प्रवाह माना गया ।

विधुत विभव :- किसी बिन्दु पर स्थित ईकाई विन्दुवत धनावेश में संग्रहित वैधुत स्थितिज ऊर्जा उस विन्दु के विद्युत विभव के बराबर होती है ।

विभवांतर ( V ) :- एकांक आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किया गया कार्य विधुत विभवांतर कहलाता है । विधुत विभवांतर का मात्रक ( V ) वोल्ट है ।

विभवांतर 1 वोल्ट :-1 वोल्ट :- जब 1 कूलॉम आवेश को लाने के लिए 1 जूल का कार्य होता है तो विभवांतर 1 वोल्ट कहलाता है ।

वोल्ट मीटर :विभवांतर को मापने की युक्ति को वोल्टमीटर कहते है । इसका प्रतिरोध ज्यादा होता है तथा हमेशा पार्श्वक्रम में जुड़ता है ।


सेल :-यह एक सरल युक्ति है जो विभवांतर को बनाए रखती है । विद्युत धारा हमेशा उच्च विभवांतर से निम्न विभवांतर की तरफ प्रवाहित होती है ।

ओम का नियम :-किसी विद्युत परिपथ में धातु के तार के दो सिरों के बीच विभवांतर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है परन्तु तार का तापमान समान रहना चाहिए । इसे ओम का नियम कहते हैं । दूसरे शब्दों में :-

  • V × R
  • V = IR

प्रतिरोध :-


  • यह चालक का वह गुण है जिसके कारण वह प्रवाहित होने वाली धारा का विरोध करता है ।
  • प्रतिरोध का SI मात्रक ओम है । इसे ग्रीक भाषा के शब्द Ω से निरूपित करते हैं । ओम के नियम के अनुसार :- R = V/I

परिवर्ती प्रतिरोध :-स्रोत की वोल्टता में बिना कोई परिवर्तन किए परिपथ की विद्युत धारा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले अवयव को परिवर्ती प्रतिरोध कहते हैं ।

प्रतिरोधता :-

  • 1 मीटर भुजा वाले घन के विपरीत फलकों में से धारा गुजरने पर जो प्रतिरोध उत्पन्न होता है वह प्रतिरोधता कहलाता है ।
  • प्रतिरोधकता का SI मात्रक Ωm है ।
  • प्रतिरोधकता चालक की लम्बाई व अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के साथ नहीं बदलती परन्तु तापमान के साथ परिवर्तित होती है ।
  • धातुओं व मिश्रधातुओं का प्रतिरोधकता परिसर – 10⁻⁸ -10⁻⁶ Ωm ।
  • मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता उनकी अवयवी धातुओं से अपेक्षाकृतः अधिक होती है ।
  • मिश्र धातुओं का उच्च तापमान पर शीघ्र ही उपचयन ( दहन ) नहीं होता अतः इनका उपयोग तापन युक्तियों में होता है ।
  • तांबा व ऐलूमिनियम का उपयोग विद्युत संरचरण के लिए किया जाता है क्योंकि उनकी प्रतिरोधकता कम होती है ।

पार्श्वक्रम संयोजन :- जब तीन प्रतिरोधकों को एक साथ बिंदुओं X तथा Y के बीच संयोजित किया जाता है तो संयोजन पार्श्वक्रम संयोजन कहलाता है ।

पार्श्वक्रम में प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर विभवांतर उपयोग किए गए विभवांतर के बराबर होता है । तथा कुल धारा प्रत्येक व्यष्टिगत प्रतिरोधक में से गुजरने वाली धाराओं के योग के बराबर होती है ।

विधुत धारा का तापीय प्रभाव :-यदि एक विद्युत् परिपथ विशुद्ध रूप से प्रतिरोधक है तो स्रोत की ऊर्जा पूर्ण रूप से ऊष्मा के रूप में क्षयित होती है , इसे विद्युत् धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं ।

  • ऊर्जा = शक्ति x समय
  • H = P × t
  • H = VIt। P = VI
  • H = I²Rt V = IR
  • H = ऊष्मा ऊर्जा

विधुत शक्ति :-

  • कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं । ऊर्जा के उपभुक्त होने की दर को भी शक्ति कहते हैं ।
  • किसी विद्युत परिपथ में उपभुक्त अथवा क्षयित विद्युत ऊर्जा की दर प्राप्त होती है । इसे विद्युत शक्ति भी कहते हैं । शक्ति P को इस प्रकार व्यक्त करते हैं । P = VI
  • शक्ति का SI मात्रक = वाट है ।
  • 1 वाट 1 वोल्ट × 1 ऐम्पियर
  • ऊर्जा का व्यावहारिक मात्रक = किलोवाट घंटा ( Kwh )
  • 1 kwh = 3.6 x 10⁶J
  • 1 kwh = विद्युत ऊर्जा की एक यूनिट
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